सुना रहा कुंवर मंडली का सार्वजनिक हनुमान मंदिर..........|

यहां होता था इस वक्त 10,000 नागरिकों का भंडारा



इस बार सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर का भंडारा कुंवर मंडली में नहीं हो पाया कोरोना के चलते यहां पर इस सार्वजनिक भंडारे को स्थगित कर दिया गया | वैसे आयोजकों का एकतरफा निर्णय था कि यदि थोड़ी सी भी ढील दी जाए तो यह भंडारा अवश्य होगा | पिछले 25 से 30 वर्षों से यहां पर जोशी परिवार (सालेरा) व उनके साथीइस भंडारे का आयोजन करते हैं कुंवर मंडली के युवा इस भंडारे को कभी खंडित नहीं होने देना चाहते | वे राह देख रहे हैं कि शीघ्र ही खुल जाए तो वे देर से ही सही भंडारे का आयोजन करना चाहते हैं | पाठकों को जानकारी दे दूं की जोशी परिवार व उनके मित्रों ने इस भंडारे की शुरुआत आज से 25 से 30 वर्ष पहले की थी | कुल 100 से 50 व्यक्तियों का यह छोटा सा भंडारा होता था नागरिकों का सहयोग मिलता गया और इस में आने वालों की संख्या शनैः - शनैः10000 से भी ज्यादा हो गई | स्थानीय राजनेता चाहे वह मालिनी गौड़ हो या छोटे सुप्रीमो अश्विन जोशी या ठकुराइन उषा ठाकुर इस भंडारे में  आना नहीं भूलते हैं लेकिन इस बार स्थिति विपरीत होने के कारण भंडारे का आयोजन स्थगित कर दिया गया | बताया जाता है कि यहां पर मंदिर में रोज पूजा-अर्चना होती है सुबह रोज 6:00 बजे से पूजा-अर्चना चालू होती है तो  से 9:00 बजे तक चलती है , शाम को फिर पूजा अर्चना चालू हो जाती है |


 


 कुंवर मंडली के युवा इस मंदिर का संचालन करते हैं वे कोई शासकीय या अर्धशासकीय मदद नहीं लेते हैं सिर्फ मित्रों और शुभचिंतकों का ही सहयोग इस मंदिर की रखरखाव के लिए काफी बताया जाता है | कहते हैं कि इस मंदिर की कृपा किसी पर हो जाए तो वह निहाल हो जाता है | यहां के मंदिर में एक बात की विशेषता देखी गई है कि जब भी भंडारा होता है तो कभी कम नहीं पड़ता है इस भंडारे में व्यवस्था भी यहां के स्थानीय नागरिक संभालते हैं | राजनीतिज्ञ यहां आते हैं बुलाए नहीं जाते हैं कार्यकर्ता किसान हैं या नौकरी पेशा है या दूध के व्यवसाय से जुड़े हैं किसी का भी राजनीति से कोई संबंध नहीं है | यही कारण है कि यह मंदिर दिनों दिन लोकप्रिय होता जा रहा है मई का यह महीना इस भंडारे के होने का समय है मई के प्रथम सप्ताह में भंडारा हो जाता है लेकिन इस बार हमें अफसोस है कि यह भंडारे का आयोजन नहीं हो पाया |


 


इस भंडारे में विशेष तौर पर प्रेस क्लब के कई पत्रकार आते हैं| एक बड़ा आश्चर्य जनक पहलू है कि अरविंद तिवारी से लेकर ओमप्रकाश फरकिया तक , राजेश यादव से लेकर कैलाश यादव तक , तपेंद्र सुगंधी से लेकर राकेश बादल तक दिग्गज पत्रकारों की जोड़ी जो शहर और प्रदेश की शान समझे जाते हैं वह इस भंडारे का प्रसाद लेना नहीं भूलते हैं | कई बार तो वे प्रसाद लेने के बाद अपने परिजनों के लिए भी घर पर ले जाते हैं | यहां जो बनाई जाती है सब्जी उसे राम भाजी कहते हैं वैसा स्वाद कहीं देखने को नहीं मिलता है लोग सिर्फ सब्जी खाने ही आते हैं , खाना हमेशा यहां पर  "नारायणजी दवे गुरु" के हाथ का ही बनता है......|